पंजीकरण स्थिति समाचार
वक्फ संशोधन विधेयक पर इमरान मसूद की कड़ी प्रतिक्रिया: अल्पसंख्यक अधिकारों पर खतरा
Abhishek Rauniyar

Abhishek Rauniyar

1 अप्रैल 2025 को लोकसभा में पेश किया गया वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024, पहले ही दिन से चर्चा का केंद्र बन गया है। कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने इस विधेयक का कड़ा विरोध किया है और सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। मसूद का आरोप है कि सरकार इस विधेयक के जरिए वक्फ संपत्तियों को राज्य की संपत्ति में बदलने की साजिश कर रही है।

इमरान मसूद ने कहा कि उत्तर प्रदेश इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, जहां सरकार व्यवस्थित रूप से वक्फ की जमीनों को राज्य संपत्ति घोषित कर रही है। यह विधेयक वक्फ एक्ट 1995 में 40 संशोधनों का प्रस्ताव रखता है, जिसमें वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना और राज्य नियंत्रण बढ़ाना शामिल है।

सबसे बड़ी चिंता का विषय यह है कि इस विधेयक को पारित करने के लिए भारी बहुमत की आवश्यकता थी, जिसे सरकार ने 288 मतों के पक्ष में और 232 के विपक्ष में पास करवा लिया। इसके बावजूद, विपक्ष के नेता इस विधेयक को अल्पसंख्यक संस्थानों में राज्य की हस्तक्षेप के रूप में देख रहे हैं। उनका तर्क है कि यह संविधान के अनुच्छेद 15 और 30 का उल्लंघन करता है, जिनमें धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यक अधिकारों की रक्षा की गई है।

सरकार का पक्ष है कि यह संशोधन पारदर्शिता बढ़ाने, वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन और अवैध कब्जे की रोकथाम के लिए आवश्यक हैं। लेकिन इमरान मसूद और अन्य विपक्षी सदस्य इसे भ्रामक मानते हैं। मसूद ने विधेयक के खिलाफ कानूनी लड़ाई का आह्वान किया है और इसे अल्पसंख्यक अधिकारों और साम्प्रदायिक सौहार्द के लिए खतरा बताया है।

लोकप्रिय टैग : वक्फ संशोधन विधेयक इमरान मसूद संविधान अधिकार मुस्लिम समुदाय


एक टिप्पणी लिखें